मंदिरों की आवश्यकता नहीं है ,
ना ही जटिल तत्त्वज्ञान की.
मेरा मस्तिष्क और मेरा हृदय मेरे मंदिर हैं;
मेरा दर्शन दयालुता है.
हम बाहरी दुनिया में कभी शांति नहीं पा सकते हैं,
जब तक की हम अन्दर से शांत ना हों.
एक श्रेष्ठ व्यक्ति कथनी में कम ,
करनी में ज्यादा होता है.
हर एक चीज में खूबसूरती होती है,
लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता.
मैं सुनता हूँ और भूल जाता हूँ ,
मैं देखता हूँ और याद रखता हूँ,
मैं करता हूँ और समझ जाता हूँ.
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