जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है
तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है .
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं
अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते .
तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है .
कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता ,
कोई तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता .
तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है .
तुम फ़ुटबाल के जरिये स्वर्ग के ज्यादा निकट होगे
बजाये गीता का अध्ययन करने के .
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो .
किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये –
आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं .
स्वतंत्र होने का साहस करो .
जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं
वहां तक जाने का साहस करो ,
और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो .
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