एक आदमी या औरत के पालन -पोषण का परीक्षण है
की वे झगड़ा होने पर कैसे व्यवहार करते हैं .
बहुत कम लोग साल में दो -तीन बार से ज्यादा सोचते हैं ;
मैंने हफ्ते में एक -दो बार सोच कर खुद की एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बना ली है .
आंकड़े बताते हैं कि उन लोगों में जिन्हें खाने की आदत पड़ जाती है ,
बहुत कम ही ज़िन्दा बचते हैं .
यदि सभी अर्थशास्त्रियों को एक साथ बैठा दिया जाये ,
तो वे कभी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पायेंगे .
यदि आपको स्वयं को अपने बच्चों के सामने एक सबक के रूप में दिखाना पड़े ,
तो खुद को एक चेतावनी के तौर पर दिखाएं , उदहारण के तौर पर नहीं .
कहने के लिए ढेर सारी चतुराई भरी बातें जान लीजिये ,
और आप प्रधानमन्त्री बन जायेंगे ;
उन्हें लिख डालिए और आप शेक्सपीयर बन जायेंगे .
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