इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है,
यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए.
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि
उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की.
क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है.
यदि मानव जातो को जीवित रखना है
तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी.
जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है ,
उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता.
इश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-
और एक बराबर ही मूर्ख भी.
No comments:
Post a comment