कोई भी समस्या चेतना के उसी स्तर पर रह कर नहीं हल की जा सकती है
जिसपर वह उत्पन्न हुई है.
जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों
तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है.
जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों
तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है.
यही सापेक्षता है.
दो चीजें अनंत हैं:
ब्रह्माण्ड और मनुष्य कि मूर्खता;
और मैं ब्रह्माण्ड के बारे में दृढ़ता से नहीं कह सकता.
सभी महान आन्दोलन लोक्रप्रिय आन्दोलन होते हैं।
वे मानवीय जूनून और भावनाओं का विस्फोट होते हैं ,
जो कि विनाश की देवी या लोगों के बीच बोले गए
शब्दों की मशाल के द्वारा क्रियान्वित किये जाते हैं .
सभी प्रचार लोकप्रिय होने चाहिए और इन्हें
जिन तक पहुचाना है
उनमे से सबसे कम बुद्धिमान व्यक्ति के भी समझ में आने चाहियें .
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